गुरुवार को क्यों नाखून नहीं काटना चाहिए

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गुरुवार से जुड़ी मान्यताएँ

अक्सर हम सुनते हैं की बृहस्पतिवार को नाखून नहीं काटना चाहिए, घर की सफाई नहीं करनी चाहिए, घर में लगे मकड़ी के जाले नहीं उतारने चाहिए, केले नहीं खाने चाहिए, साबुन प्रयोग करना चाहिए, इत्यादि। संक्षेप में, इस दिन साफ-सफाई नहीं करनी चाहिए। बहुत लोग मजाक में कहते हैं कि बृहस्पति भगवान को गंदगी ज्यादा पसंद है, उन्हें सफाई पसंद नहीं है जो साफ-सफाई के लिए मना करते हैं। समान्यतः सभी पर्व-त्योहारों में तो कहते हैं कि साफ-सफाई ज्यादा करो, लेकिन गुरुवार को क्यों बंद होता है? कई जगह तो इस दिन नाई की दुकान भी बंद होती है।

पर ऐसा क्यों होता है? कुछ लोग इसे ‘बुढ़िया पुराण’ या तर्कहीन ‘अंधविश्वास’ मानते हैं।

कौन हैं भगवान बृहस्पति?

बृहस्पति को देवताओं का गुरु माना जाता है। ये विष्णु के ही रूप माने जाते हैं। बृहस्पति वार या गुरुवार को देवगुरु बृहस्पति का दिन माना जाता है। इस दिन उनकी पूजा होती है।

क्यों निषिद्ध होता है साफ-सफाई बृहस्पतिवार को?

इस बात पर बात करने से पहले मैं एक बात पर ध्यान आकर्षित करना चाहती हूँ। हमलोग राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय दोनों स्तर पर आजकल भी बहुत सारे दिन मानते हैं। उदाहरण के लिए, डायबिटीज दिवस, विश्व हृदय रोग दिवस, अंतराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस, महिला दिवस, मजदूर दिवस, इत्यादि। 1 जुलाई को डॉक्टर दिवस होता है, 1 अक्टूबर को वृद्धजन दिवस होता है, इसका अर्थ यह नहीं कि केवल 1 जुलाई को ही डॉक्टर को सम्मान दिया जाय, और केवल 1 अक्टूबर को  ही वृद्धजन की चिंता की जाय। बल्कि यह होता है कि ये इतने महत्वपूर्ण विषय हैं कि इनके लिए हमेशा कार्य किया जाना चाहिए। एक दिन उनके लिए निश्चित करना केवल उनके महत्त्व को याद दिलाने के लिए होता है।

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हमारे जीवन में जितना महत्त्व शारीरिक गतिविधियों और शरीर शरीर का है उतना है महत्व आध्यात्मिक, मानसिक और भावनात्मक गतिविधियों और स्वाथ्य का ध्यान रखा जाय। तन और मन के संतुलित विकास का महत्त्व देवगुरु बृहस्पति से ज्यादा कौन जान सकता है! हम कहते हैं की सोमवार भगवान शिव का दिन होता है, मंगलवार हनुमान जी का दिन होता है, बुधवार देवी सरस्वती का दिन होता है। इसका अर्थ यह नहीं होता है कि अन्य दिन ये देवता नहीं उपलब्ध होते हैं बल्कि यह होता है कि कम से कम एक दिन तो उनको और उनकी शिक्षाओं को याद करें।

देवगुरु बृहस्पति, जिन्हें सत्यनारायाण भी कहा जाता है, अध्यात्म और बौद्धिक उन्नति का महत्व समझते हैं। इसलिए उनके विशेष दिन को शारीरिक एवं भौतिक साफ-सफाई नहीं करने, बल्कि इसके बदले अध्यात्म और बौद्धिक उन्नति के लिए प्रयास करने के लिए याद दिलाने के लिए निश्चित कर दिया गया है। यह प्रतिबंध वास्तव में संतुलित जीवन के याद दिलाने के लिए होता है। यह निषेध बताता है कि भले ही आप सप्ताह के अन्य दिन शारीरिक और भौतिक साफ-सफाई पर धायन दें पर कम-से-कम बृहस्पतिवार को हम मस्तिष्क के सफाई की बात करें। शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वाथ्य कितना जरूरी होता है, यह बृहस्पतिवार हमें याद दिलाता है।   

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