पिता का साया सर पर है,
इसे सत्ता कहें क्या हम?
है भाई स्नेह का बंधन,
इसे सत्ता कहें क्या हम?
भरोसा जो मिला पति से,
उसे सत्ता कहें क्या हम?
पुत्र ने मान दी हमको,
इसे सत्ता कहें क्या हम?
पुरुष ने की सृष्टि रचना,
मिला जब साथ प्रकृति का।
यहां शिव भी अधूरे हैं,
खो कर साथ शक्ति का।
है लीला कृष्ण की अधूरी,
न हो जब साथ राधा का।
समर्पण राम सा गहरा,
इसे सत्ता कहें क्या हम?
है शिशु पर स्नेह माता का,
इसे बंधन कहें क्या हम?
जहाँ बंधन न हो कोई,
उसे जीवन कहें क्या हम?
पिता का साया सर पर है,
इसे सत्ता कहें क्या हम?