कोर्ट में गांधी जी
आज कोर्ट में बैठी थी मैं जज साहब की प्रतीक्षा में, कुर्सी पीछे खड़े थे बापू शायद न्याय की इच्छा […]
कोर्ट में गांधी जी Read Post »
आज कोर्ट में बैठी थी मैं जज साहब की प्रतीक्षा में, कुर्सी पीछे खड़े थे बापू शायद न्याय की इच्छा […]
कोर्ट में गांधी जी Read Post »
पिता का साया सर पर है, इसे सत्ता कहें क्या हम? है भाई स्नेह का बंधन, इसे सत्ता कहें क्या
पित्रसत्तात्मक समाज Read Post »
रात रात भर नींद गवाईं, सपनों की तलाश में, सपने खोजते आ पहुंचा मैं, सपनों के बाजार में। लाख लाख
सुबह सवेरे बीच सड़क पर, बेबस सा लाचार खड़ा हूं। आंखों में है बॉस का चेहरा, कानों के आवाज पड़ा
मंदा रोजगार पड़ा है, क्रिमिनल शायद बीमार पड़ा है। पड़ोसी भी मिलजुल कर रहते, भाइयों में भी प्यार बढ़ा है।
वकील साहब की कविता Read Post »