विद्यार्थी जीवन

Share

रात रात भर नींद गवाईं,

सपनों की तलाश में,

सपने खोजते आ पहुंचा मैं,

सपनों के बाजार में।

लाख लाख में डिग्री खरीदी,

हर डिग्री में सपने थे,

सपने में थी शुकुन की नींदे,

पर सपने कब अपने थे।

नींद गंवा कर सपने खरीदे,

जवानी बिकी उधार में,

नींद खुली तो देखा कैसे,

बिक गया मैं बाजार में।

सपने मिले तो मैं खोया था,

जाने किस व्यापार में, 

ले लो सपने दे दो नींदे,

फिर पहुंचा बाजार में।

Read Also  कौन थे श्रीराम के जीजा, जिनके सिर पर सींग था और जिन्होने युवा होने तक किसी स्त्री को नहीं देखा था?- part 5

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top