रात रात भर नींद गवाईं,
सपनों की तलाश में,
सपने खोजते आ पहुंचा मैं,
सपनों के बाजार में।
लाख लाख में डिग्री खरीदी,
हर डिग्री में सपने थे,
सपने में थी शुकुन की नींदे,
पर सपने कब अपने थे।
नींद गंवा कर सपने खरीदे,
जवानी बिकी उधार में,
नींद खुली तो देखा कैसे,
बिक गया मैं बाजार में।
सपने मिले तो मैं खोया था,
जाने किस व्यापार में,
ले लो सपने दे दो नींदे,
फिर पहुंचा बाजार में।